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बांदा में हादसा या लापरवाही: 24 घंटे बाद भी लापता लोगों का सुराग नहीं, हर कदम पर सामने आ रही हैं खामियां

बांदा में हादसा या लापरवाही: 24 घंटे बाद भी लापता लोगों का सुराग नहीं, हर कदम पर सामने आ रही हैं खामियां

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांदा Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Sat, 13 Aug 2022 12:04 AM IST
सार

मर्का थाना क्षेत्र में यमुना नदी के हादसे में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 60 सदस्यीय टीम सुबह सात बजे से ही लापता लोगों को ढूंढने में लगी हुई है। हालांकि 24 घंटे बाद भी लापता लोगों का सुराग नहीं लगा है। वहीं, हर कदम पर पुलिस और प्रशासन की लापरहवाही सामने आ रही है।

Banda Boat Accident
Banda Boat Accident - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

बांदा जिले के मर्का कस्बे में हुए नाव हादसे में 24 घंटे बीत जाने के बाद भी लापता हुए लोगों का कोई सुराग नहीं लग सका है। नाव में सवार 50 लोग डूबे थे। तीन के शव बरामद हुए, 15 लोग तैर कर निकल आए थे। इसमें 32 लोग अभी लापता है। यहां हर कदम पर लापरवाही दिखाई दी। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 60 सदस्यीय टीम सुबह सात बजे से ही लापता लोगों को ढूंढने में लग गई। थाने से महज 120 मीटर की दूरी पर यह हादसा हुआ है, मगर किसी जिम्मेदार ने कोई यहां इंतजाम नहीं किया। 

पहली लापरवाही- पुलिस चेत जाती, तो न होता हादसा
कस्बे और आसपास के लोग बड़ी संख्या में नाव से होकर फतेहपुर जिले के विभिन्न गांवों में आवागमन करते हैं। ये लोग थाने के सामने से होकर गुजरते हैं। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोग नाव पर सवार होते हैं, लेकिन थाने में तैनात पुलिस कर्मियों को ये दिखाई नहीं देते हैं। यह हाल तब है, जब मर्का घाट से चंद कदम पर थाना है। यहां पर थाना प्रभारी समेत कई पुलिस कर्मी तैनात हैं। इसके बाद भी पुलिस मूक दर्शक बनी रही। 
दूसरी लापरवाही- स्टीमर लेकर नहीं आया चालक
ग्रामीणों के मुताबिक, 22 लोगों की क्षमता वाली नाव में लगभग 50 लोग सवार थे। तीन बाइकें व छह साइकिल भी लदी थीं। ज्यादा वजन की वजह से नाव को मोड़ते समय पतवार टूट गई। इससे नाव डूब गई। कुछ दूरी पर बन रहे पुल के स्टीमर के चालक को बचाव के लिए आवाज लगाई गई, लेकिन वह नहीं आया। लोगों का कहना है कि स्टीमर आ जाता तो कई लोगों की जान बच जाती। 
तीसरी लापरवाही- चेतावनी के बाद भी नहीं रोका गया संचालन
जिलाधिकारी ने मई में सभी एसडीएम को आदेश दिए थे कि बाढ़ और बारिश के समय अपने-अपने क्षेत्रों में निगरानी करें। बाढ़ सहायता एवं निगरानी केंद्र बनाए जाएं। एक हफ्ते पहले भी प्रशासन की ओर से निर्देश दिया गया था कि यमुना नदी उफान पर है। ऐसे में अगर लहर उठ रही है तो नाव न चलाएं। बावजूद इसके नावों का संचालन नहीं रोका गया है।
चौथी लापरवाही- तो बच जाती लोगों की जान
यहां के 12 से 15 गांवों की 25 हजार की आबादी रोज यमुना पार जाने के लिए नाव से ही आवागमन करती है। छह नावों से रोज करीब 1400 से 1600 लोगों का आवागमन होता है। ऐसे में एक नाव में एक बार में 30 से 35 लोग एक साथ यात्रा करते हैं। लोगों का कहना है कि अगर पुल चालू हो गया होता तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
हवा तेज होने से दूसरी नाव नहीं आ सकी
ग्रामीणों का कहना है कि यमुना नदी के किनारे कलुआ गैंग और बाबू गैंग की छह नाव लगी रहती हैं। ये लोगों को नदी पार कराते हैं। जब बाबू निषाद की नाव डूबने लगी तो दूसरी नाव जाने लगी, मगर हवा इतनी तेज थी कि दूसरी नाव कुछ दूर चलकर लौटने लगती थी। अगर हवा तेज नहीं होती दूसरी नाव से लोगों को बचाया जा सकता था।  
11 साल में 25 करोड़ बढ़ा बजट, फिर भी अधूरा पुल  
मर्का कस्बे से 2011 में यमुना नदी पर पुल बनना शुरू हुआ था। 2014 तक पुल चालू करने का लक्ष्य था, लेकिन बजट की कमी के चलते ऐसा नहीं हो सका। इसमें अधिकारियों की लापरवाही भी है। इसके लिए तीन बार इस्टीमेट रिवाइज किया गया। पहले 54.89 करोड़ की लागत से पुल बनना था। इसके बाद 65 करोड़ और फिर 89 करोड़ का रिवाइज इस्टीमेट बना। पहले इस काम को चित्रकूट इकाई करा रही थी। अब बांदा डिवीजन सेतु निगम के पास काम है। तीसरी बार बजट रिवाइज होने के बाद जनवरी 2022 से काम शुरू हुआ था, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हो सका है।
कैसे हुई लापरवाही
  • आदेश के बाद भी नहीं लगाया गया चेतावनी बोर्ड।
  • चंद कदम की दूरी पर थाना होने के बाद भी पुलिस रही सोती।
  • नदी उफान पर फिर भी होता रहा नाव से आवागमन।
  • पंजीकृत नहीं थी आवागम के लिए दुर्घटनाग्रस्त नाव।
  • नाव में क्षमता से तीन गुना से अधिक सवार थे ग्रामीण।
  • आवागमन की जानकारी के बाद भी नहीं लगाया स्टीमर।
  • प्रतिदिन 20 गांवों के ग्रामीणों का होता था आवागमन।


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