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Salman Rushdie: 1989 में भी मुंबई में हुआ था सलमान रुश्दी का हिंसक विरोध, 12 की गई थी जान, पढ़ें पूरी कहानी

Salman Rushdie: 1989 में भी मुंबई में हुआ था सलमान रुश्दी का हिंसक विरोध, 12 की गई थी जान, पढ़ें पूरी कहानी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: शिव शरण शुक्ला Updated Sat, 13 Aug 2022 10:48 PM IST
सार

किताब "द सैटेनिक वर्सेज" के लिए 33 साल पहले मुंबई में उनका व्यापक विरोध हुआ था। 14 फरवरी, 1989 को रुश्दी की विवादास्पद पुस्तक के खिलाफ मुंबई पुलिस आयुक्त कार्यालय के पास व्यस्त इलाके में एक विरोध मार्च का आयोजन किया गया था। 

सलमान रुश्दी
सलमान रुश्दी - फोटो : social media

विस्तार

अमेरिका के पश्चिमी न्यूयॉर्क में ब्रिटिश-अमेरिकी उपन्यासकार सलमान रुश्दी पर हुए हमले ने दुनिया को झकझोर दिया है। मुंबई में जन्मे सलमान रुश्दी पर ये हमला उनकी किताब "द सैटेनिक वर्सेज" को लेकर हुआ, बताया जा रहा है।  उनके खिलाफ ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई ने मौत का फतवा जारी किया था। इस फतवे को झेलने वाले रुश्दी ने कहा था- इस सूची में शामिल होना सम्मान की बात है। इस किताब के लिए 33 साल पहले मुंबई में उनका व्यापक विरोध हुआ था।




अभी भी घोषित है ईनाम
किताब "द सैटेनिक वर्सेज" के लेखक रुश्दी पर अभी भी चालीस लाख डॉलर का ईनाम है। पिछले सालों ईरान और पश्चिम के बीच रिश्तों के सामान्य होने के बावजूद इनाम की रकम बढ़ा दी गई थी। रुश्दी 12 साल तक ब्रिटिश एजेंटों की सुरक्षा में रहे हैं। 21वीं सदी में प्रवेश करने के साथ ही रुश्दी ब्रिटेन छोड़कर अमेरिका चले गए थे। 2002 से वे बिना किसी सुरक्षा के रहते हैं। सुरक्षाकर्मी उनके साथ तभी नजर आते हैं जब वह किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में होते हैं। शुक्रवार को न्यूयॉर्क में उनपर हुए हमले ने 33 साल पहले उनकी किताब और उनके विरोध में मुंबई में हुए विरोध प्रदर्शन की याद ताजा कर दी है। रुश्दी के खिलाफ उनके जन्मस्थान मुंबई में हुए विरोध प्रदर्शनों ने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी थीं।


रुश्दी की किताब के विरोध में मुंबई में हुआ था व्यापक विरोध
एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी और एक पत्रकार ने 1989 में मुंबई में उनके खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन को याद करते हुए बताया कि 14 फरवरी, 1989 को रुश्दी की विवादास्पद पुस्तक "द सैटेनिक वर्सेज" के खिलाफ मुंबई पुलिस आयुक्त कार्यालय के पास व्यस्त इलाके में एक विरोध मार्च का आयोजन किया गया था। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान दक्षिण मुंबई में क्रॉफर्ड मार्केट के पास  प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग ने फायरिंग कर दी थी। इस फायरिंग में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई थी।

पुलिस ने की थी फायरिंग
इसे कवर करने वालों में उर्दू पत्रकार सरफराज आरजू भी शामिल थी। उन्होंने कहा कि उस दिन की गोलीबारी की घटना मुंबई पुलिस के इतिहास में सबसे खराब घटनाओं में से एक थी। उन्होंने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों का इरादा किसी हिंसा का नहीं था। विरोध प्रदर्शन के बावजूद इलाके में दुकानें और अन्य प्रतिष्ठान हमेशा की तरह खुले थे। विरोध मार्च दोपहर करीब 12 बजे नागपाड़ा के मस्तान तालाब से शुरू हुआ और जे जे जंक्शन मार्ग से आजाद मैदान की ओर बढ़ा। आगे प्रदर्शनकारियों को मोहम्मद अली रोड पर बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के पास पुलिस ने रोका। यहां पर पुलिस ने एक प्रतिनिधिमंडल को मांगों का ज्ञापन पेश करने की अनुमति दी और लोगों से तितर-बितर होने को कहा। इसके बावजूद जब प्रदर्शनकारी नहीं मानें तो दोपहर करीब तीन बजे भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने फायरिंग कि जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई और 40 घायल हो गए। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा भी किया जाता है कि पहले भीड़ ने पुलिस पर गोलीबारी की थी। इसके बाद पुलिस ने गोलियां चलाईं। आरजू ने याद करते हुए आगे बताया कि उस घटना के बाद कई बार रुश्दी ने मुंबई का दौरा किया, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।

महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डी शिवानंदन मुंबई में हुए प्रदर्शन को किया याद
महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डी शिवानंदन ने याद करते हुए बताया कि मुस्लिम समुदाय के हजारों लोग रुश्दी की किताब के विरोध में क्रॉफर्ड मार्केट में एकत्र हुए थे, लेकिन किसी ने, न तो प्रदर्शनकारियों ने और न ही पुलिस ने किताब को पढ़ा था। उन्होंने कहा कि चूंकि भारत सरकार ने पहले ही इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसलिए इस विरोध मार्च को टाला जा सकता था। जिसके कारण कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हुई। 

अस्पताल में हैं भर्ती
गौरतलब है कि अमेरिका के न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान चाकूबाजी का शिकार हुए सलमान रुश्दी की हालत गंभीर बनी हुई है। रुश्दी के करीबियों ने कहा है कि इस हमले में उन्हें काफी चोटें आई हैं और उनकी एक आंख भी जा सकती है। इस बीच पुलिस ने रुश्दी पर हमला करने वाली की पहचान का खुलासा कर दिया है। बताया गया है कि हमलावर न्यू जर्सी का रहने वाला हादी मतार है। उसकी उम्र महज 24 साल है।


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