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Climate Change: चीन और अमेरिका के बीच जलवायु परिवर्तन पर वार्ता रुकने का प्रभाव कार्रवाई पर न पड़ने की उम्मीद

Climate Change: चीन और अमेरिका के बीच जलवायु परिवर्तन पर वार्ता रुकने का प्रभाव कार्रवाई पर न पड़ने की उम्मीद

एजेंसी, वाशिंगटन। Published by: देव कश्यप Updated Sun, 07 Aug 2022 01:16 AM IST
सार

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और चीन दोनों जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जरूरी कदम उठाने की तैयारी कर चुके हैं। विशेषज्ञों ने बातचीत रुकने का प्रभाव इन कदमों पर नहीं होने की उम्मीद जताई है।
 

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन के साथ अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी।
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन के साथ अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी। - फोटो : ANI

विस्तार

जलवायु परिवर्तन पर प्रभावी कार्रवाई संबंधी अंतिम दो समझौते दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण उत्पन्न करने वाले देशों अमेरिका और चीन के एक-दूसरे से हुए सौदे के बाद ही संभव हुए थे। मगर अब अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन ने जलवायु पर अमेरिका के साथ वार्ता रोकने की घोषणा कर दी है।



विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में कांग्रेस प्रदूषक गैसें कम उत्सर्जित करने पर जोर दे रही हैं। दोनों देशों में इससे निपटने के लिए कदम उठाने की तैयारी भी हो चुकी है। विशेषज्ञों ने बातचीत रुकने का प्रभाव इन कदमों पर नहीं होने की उम्मीद जताई है।


वैश्विक जलवायु समिट की प्रगति पर पड़ेगा असर
जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में चीन, ऊर्जा और जलवायु विशेषज्ञ जोआन्ना लेविस का कहना है, चीन का जलवायु परिवर्तन वार्ता रोकना अप्रत्याशित नहीं है, लेकिन चुभता जरूर है। उम्मीद है कि यह रोक अस्थायी है। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी विस्तृत आदेश के मुताबिक, इसका ज्यादा जोर सैन्य और रणनीतिक बैठकों पर है। अमेरिका और चीन के बीच वार्ता रुकने का प्रभाव नवंबर में इस संकट पर होने वाली वैश्विक जलवायु समिट की प्रगति पर पड़ेगा। खासकर मीथेन उत्सर्जन रोकने के लिए जटिल तकनीकी मुद्दों पर सीधे सहयोग पर।

जलवायु पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन कैरी का कहना है कि सहयोग रोकना अमेरिका नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खराब होगा। खासकर विकासशील देशों के लिए। जलवायु परिवर्तन पर देशों के बीच मतभेद दूर नहीं होते तो यह इंसानों के लिए महंगा पड़ेगा। विशेषज्ञों का भी कहना है कि दोनों देशों के बीच जलवायु पर बातचीत नहीं हो रही है तो इसका अर्थ यह नहीं कि वह कार्रवाई भी नहीं कर रहे। विलानोवा विश्वविद्यालय में चीन की राजनीति, ऊर्जा विशेषज्ञ और पूर्व अमेरिकी राजनयिक डिबोरा सेलिगसोहन के मुताबिक, अमेरिका और चीन को उत्सर्जन पर काबू पाने के लिए घरेलू स्तर पर सख्त कदम उठाने हैं। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय बातचीत या प्रोत्साहन का कोई प्रभाव नहीं होगा।


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